जब राजा दिनकर केलकर संग्रालय के संस्थापक  केलकर जी को पता चला के कोथरुड के मस्तानी महल को तोडा जा रहा है तो  उन्होंने कुशल कारीगरों के मदत से उसे  वहाँ से निकाल कर अपने  संग्रालय में पुनर्घटन किया। यह शत प्रतिशत असली मस्तानी महल का हिस्सा है.

दिनकरजी के वजह से ही हमें उस ज़माने का वैभवशाली इतिहास जा दैदीत्यमान नजारा दिखाई देता है 

मस्तानी  बड़े बाजीराव  पेशवा की प्रेयसी और बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल बुंदेलाजी की मानस कन्या थी   
मस्तानी एक बहोत ही खूबसूरत और  शूर महिला के नाम से जानी जाती थी थोरले बाजीराव  पेशवा ने स.न. १७३४ मे  अपने प्राणप्रिय मस्तानी के लिए पुणे  कोथरुड गांव में महल बनवाया था 
यह एक गलतफहमी है के मस्तानी महल शनिवार वाडा में था 
इस महल का निर्माण गया था 

पुणे ५० किलोमीटर के दूरी पर पाबल गांव में है यह मस्तानी की कबर जिसे आम तौर पर मस्तानी की समाधी के नाम से जाना जाता है।  मस्तानी का मृत्यु स.न. १७४० में हुई। उनके मौत की वहज ठीक से पता नहीं।

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