टीवी चर्चा के दौरान चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए। एक वक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए कि क्या तमाशा बना दिया गया है। बहस में ‘फ्रेवोलस टंग’ और ‘लुचपना’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई गई, जिन्हें गैर-जरूरी बताया गया। चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि क्या यह एक व्यक्तिगत लड़ाई या निजी द्वंद में बदल गया है। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव में हार-जीत के आधार पर नैतिकता तय नहीं की जा सकती। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा एक स्वायत्त संस्था के राजनीतिक दलों के इशारे पर काम करने की आशंका थी। एक वक्ता ने कहा, “कोई स्वायत्त संस्था चलाने वाला आदमी राजनैतिक बयान आती राजनैतिक दलों के इशारे पर काम करे।” यह स्थिति अप्रिय बताई गई, जहां एक स्वायत्त संस्था का प्रमुख राजनीतिक बयानों या दलों के निर्देशों पर काम करता प्रतीत हो। चर्चा में स्वायत्त संस्थाओं की निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप से उनकी स्वतंत्रता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया। #ElectionCommission #ECI #PoliticalDebate #AutonomousInstitutions #PoliticalInfluence #IndianPolitics #Debate #MediaDebate

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